पित्त दोष से असमयक होते सफेद बाल


 


                     द्धावस्था में मनुष्य शरीर में अनेक परिवर्तन होते हैं जैसे त्वचा में झुर्रियां आना, शरीर में कमजोरी, काम के प्रति अनुत्साह, वातदोष का प्रकोप इत्यादि। साथ ही बाल सफेद होना या बाल पकना भी वृद्धावस्था की निशानी है। उम्र के साथ-साथ बाल सफेद होना सामान्य बात है पर असमय बाल सफेद होना एक प्रकार की विकृति व चिंता का विषय है। आयुर्वेदानुसार बाल पकने की व्याधि को ‘पालित्य' कहते हैं। इसमें प्रधानतः पित्त दोष की प्रबलता होती हैआयुर्वेद में इसे क्षुद्र रोगों के अंतर्गत गिना जाता अधिकांशतः पुरूषों के बाल 35 से 40 वर्ष की आयु में कानों के समीप से सफेद होने प्रारंभ होते हैं और 50 वर्ष की आयु तक अधिकांश बाल सफेद हो जाते हैं, अतः चालीस वर्ष के बाद बाल सफेद होना नैसर्गिक क्रिया है। इसके पूर्व बालों का सफेद होना पालित्य रोग के अंतर्गत आता है। बालों को काला रंग मैलेनिन पिगमेंट के कारण प्राप्त होता है। यह मैलेनिन पिगमेंट प्रोटीन व तांबे की प्रधानता युक्त होता है। किसी कारणवश इस पिगमेंमें संतुलित आहार के अभाव में बालों पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। शरीर में विटामिन के अभाव में बालों को हानि पहुंचती है। आहार के अलावा अति व्यायाम, अति डायटिंग, बालों की उचित देखभाल न करना, रसायनिक शैम्पू का अतिप्रयोग, बाल काले करने के लिए डाई का प्रयोग, कुछ औषधियां जैसे दर्दनिवारक औषधि का अतिप्रयोग करने से बाल सफेद होते हैंकुछ व्याधियां जैसे एनीमिया, हार्मोन्स का असंत. लन, थायराइड ग्रंथि के विकार, श्वेतकृष्ट, पित्त की अधि. कता व मानसिक तनाव, श्वेतप्रदर, क्रोध, शोक, चिंता ऐसे ।


असमय बाल सफेद होने के कारण :आहार सेवन में की जाने वाली लापरवाही जैसे तामसिक आहार का अति सेवन यथा पापड़, अचार इत्यादि उष्ण, तीक्ष्ण गुणात्मक व अम्ल रसात्मक आहार का सेवन, शरीर में पानी की कमी, स्निग्ध पदार्थ जैसे शुद्ध घी का भोजन में बिल्कुल प्रयोग न करना, आदि कारणों व फास्ट फूड अधिक प्रयोग करने के कारण बालों को क्षति पहुंचती है। गर्भावस्था में संतुलित आहार के अभाव में बालों पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। शरीर में विटामिन के अभाव में बालों को हानि पहुंचती है। आहार के अलावा अति व्यायाम, अति डायटिंग, बालों की उचित देखभाल न करना, रसायनिक शैम्पू का अतिप्रयोग, बाल काले करने के लिए डाई का प्रयोग, कुछ औषधियां जैसे दर्दनिवारक औषधि का अतिप्रयोग करने से बाल सफेद होते हैंकुछ व्याधियां जैसे एनीमिया, हार्मोन्स का असंत. लन, थायराइड ग्रंथि के विकार, श्वेतकृष्ट, पित्त की अधि. कता व मानसिक तनाव, श्वेतप्रदर, क्रोध, शोक, चिंता ऐसे नवा कारण हैं जिससे व्यक्ति के असमय ही बाल सफेद होते हैंपालित्य रोग वंशानुगत कारणों से भी होता है। बार-बार होनेवाला जुकाम भी कई व्यक्तियों में पालित्य का कारण बनता है। किशोरावस्था में हस्तमैथुन, स्वप्नदोष, धातुक्षीणता, वीर्य का अतिक्षरण भी पालित्य रोग से ग्रस्त करता है। श्वेतकृष्ठ में शरीर के बाल तेजी से सफेद होते पाए गए है। लंबे समय से चला आ रहा टाइफाइड का बुखार बाला को हानि पहुंचाता है। इसके अलावा रात्रि जागरण, नीद परी न होना, देर रात तक टी. वी. देखते रहना, अतिस्वदप्रवृत्ति, बालों में ज्यादा पसीना आना इत्यादि ऐसे अनेक कारण हैं जिनसे शरीरगत पित्तदोष बढ़कर बालों को हानि पहुंचाता है।


औषधि :आमलकी चूर्ण, शृंगराज चूर्ण, तिल चूर्ण, कुमारी आसव 2-2 चम्मच के साथ सुबह-शाम लें। च्यवनप्राश का सेवन शरीर को पुष्टि दिलाकर बालों को स्वस्थ रखने में सहायक होता है। पंचकर्म के अंतर्गत शिरोधारा व नस्य के प्रभावकारी परिणाम पाए गए हैं। शुद्ध घी का नस्य असमय बाल सफेद होने पर लाभ पहुंचाता है। इसके अलावा नीम तेल का नस्य भी पालित्य रोग में लाभकारी है


चिकित्सा :बाल पकने पर चिकित्सा करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बाल पकने की शुरुआत होने पर उस प्रवृत्ति को हम रोक सकते हैं। असमय बाल सफेद होने पर कारणानुसार चिकित्सा योग्य चिकित्सक के मार्गदर्शन में लें। पालित्य रोग से पीड़ित रूग्ण का आहार पौष्टिक होना आवश्यक है। आहार में उष्ण, अम्ल, लवण रसात्मक आहार को सर्वथा टालें। कई बार अनुवांशिकत्व के कारण भी बाल पकते हैं। ऐसे। कारण से बाल्यावस्था से ही बालकों के आहार के प्रति सतर्क रहें। भोजन में गाय का दूध, फलों में गाजर,सेब, नारंगी, मेवे में काजू किश. मिश इत्यादि का समावेश होना चाहिए। आहार में प्रोटीन, कैल्शियम व आयरन का अवश्य समावेश करें। बालों में कभी कोई सोडा या साबुन न लगाएं। केश धोने के लिए शिकाकाई, रीठा, आंवला, मेथीदाना, नागरमोथा व ब्राह्मी का प्रयोग करें। नियमित योगा. सन व प्राणायाम का अभ्यास करने से शरीर स्वस्थ व मन प्रसन्न रहकर । बालों का स्वास्थ्य व सौंदर्य बरकरार रहता है।


                                                      


 


 


तात्कालिक उपचार:केशरंजन :- आजकल रासायनिक डाई का प्रचार व प्रयोग करने पर रोगी को कई दुष्परिणाम भी भुगतने पड़ते हैं। प्राचीन युग से ही स्त्री-पुरूष कई प्रकार से अपने बालों का रंजन करते आए हैं। आज भी उनका प्रयोग फैशन के तौर पर किया जा रहा है। अधिकांश लोग अपनी बढ़ती हुई उम् को छिपाने के लिए अपने सफेद बालों को काला रंग देना पसंद करते हैं। बालों के रंजन के लिए 5 प्रकार के रंजक दयों का प्रयोग किया जाता है। वनस्पतिजन्य रंग 2. धातुजन्य रंग 3 रासायनिक रंग। इनमें से वनस्पतिजन्य डाई का प्रयोग सुरक्षित है। बालों को रंजन करने के लिए मेंहदी, आंवला व मंडूर भस्म का प्रयोग लाभदायी है। इसके परिणाम अति उत्तम पाए गए हैं। किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव से यह कोसों दूर है, साथ ही बालों की रूक्षता कम करने के लिए जास्वंद जेल अवश्य प्रयोग करें। बालों के पोषण के लिए नारियल तेल/तिल तेल/बादाम तेल उपयोगी हैं। अतः योग्य चिकित्सक के मार्गदर्शन में बाल सफेद होने का मूल कारण जान कर उचित चिकित्सा लेने से कम उम्र में बालों को सफेद होने से रोका जा सकता है।